बड़ा तालाब के कैचमेंट से गुजरेगा 3 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट
वेस्टर्न बाइपास में 12 किमी लंबे कैचमेंट का पेच आ गया है। सीहोर की तरफ से बड़ा तालाब में पानी की आवक में बाइपास बाधक बनेगा। इस स्थिति को कैसे टाला जाए इस पर एमपीआरडीसी की टीम काम कर रही है। 3000 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में 70 नालों को बचाना है। रोजाना ही एमपीआरडीसी की टीम संबंधित विभागों के सदस्यों के साथ निरीक्षण कर रही है। बताया जा रहा है कि इस नए अलाइनमेंट में भी बदलाव की कोशिश है।
समसगढ़ के पास वन क्षेत्र था, अब कैचमेंट
करीब 41 किमी के इस बाइपास को पहले मंडीदीप के आगे इटायाकलां से शुरू होकर फंदा जोड तक इसे तय किया था। इस पर विवाद और विरोध हुआ तो 11 मील से प्रतापपुरा से इंदौर रोड पर फंदा जोड से आधा किमी आगे इसे मिलाया गया। इससे 42 किमी का रूट अब 38 किमी हो गया है। इसके तहत छह लेन का बाइपास तय करना है। बताया जा रहा है कि नया रूट रातापानी बफर जोन से बाहर है, लेकिन अब ये पूरी तरह बड़ा तालाब कैचमेंट में आ गया है। इसमें 12 अंडरपास वाइल्ड लाइफ के लिए बनना तय किया, लेकिन बड़ा तालाब में कैचमेंट के पानी की आवक की बाधा कैसे रोकेंगे? ये बड़ा सवाल बनकर सामने खड़ा है।
दो प्रोजेक्ट एक साथ, दोनों पर्यावरणीय दिक्कत में
तत्कालीन शिवराजसिंह सरकार ने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले वीआइपी रोड चौड़ीकरण और वेस्टर्न बाइपास प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। करीब सात हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट से शहर के विकास की उम्मीद बनी थी, लेकिन वीआइपी रोड केंद्रीय वेटलैंड अथॉरिटी में उलझ गया, जबकि वेस्टर्न बाइपास भी फॉरेस्ट व कैचमेंट के मामलों में उलझा हुआ है।
ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे समेत तीन प्रस्ताव
इस स्थिति के बीच एमपीआरडीसी ने सरकार के समय आष्टा के पास से होते हुए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे के प्रस्ताव को भी फिर से जीवित किया। इसके अतिरिक्त दो अन्य प्रस्ताव तय कर शासन को भेजे हैं। यदि यह बाइपास रद्द होता है तो इन नए प्रस्तावों पर काम किया जा सकता है।