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अक्षय बम के पार्टी में शामिल होने का भाजपा को फायदा तो दूर नुकसान होता नजर आ रहा है। कांग्रेस को दौड़ से बाहर करने की रणनीति फिलहाल तो भाजपा पर ही भारी पड़ती नजर आ रही है। बम कांड को अंजाम देने वाले दो नंबरी नेता भले ही इसे अपनी जीत मान रहे हों, लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की छबि धूमिल हुई है।
पार्टी के वरिष्ठों का भी मानना है कि इंदौर जैसी सुरक्षित सीट पर इस तरह का कदम उठाने की आवश्यकता ही नहीं थी। अक्षय को अब तक का सबसे कमजोर कांग्रेसी प्रत्याशी माना जा रहा था। उनका नामांकन फार्म वापस करना तो फिर भी ठीक था, लेकिन उन्हें पार्टी में शामिल कर भाजपा ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है।

