तापी बेसिन परियोजना पर MP और महाराष्ट्र के बीच ऐतिहासिक समझौता, CM डॉ. मोहन और फडणवीस ने मिलाए हाथ
भोपाल में शनिवार को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच ताप्ती बेसिन परियोजना को लेकर एक ऐतिहासिक समझौता हुआ। यह परियोजना दुनिया की सबसे बड़ी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों डॉ. मोहन यादव और देवेंद्र फडणवीस ने इस बहुप्रतीक्षित परियोजना पर एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इससे भूजल स्तर सुधरेगा और सिंचाई बेहतर होगी। हम महाराष्ट्र से जुड़कर अपनी पुरानी विरासत को जीवित करेंगे। महाराष्ट्र बंदरगाहों से व्यापार बढ़ाएंगे। जबलपुर से नागपुर तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाया जाएगा।
25 साल बाद फिर हुई अंतरराज्यीय बैठक
देवेंद्र फडणवीस ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताया और कहा कि 5 साल बाद आज अंतरराज्यीय नियंत्रण बोर्ड की मीटिंग हुई। उन्होंने ताप्ती बेसिन परियोजना को लेकर कहा कि यह न केवल सिंचाई के लिहाज से बल्कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति देने वाली साबित होगी। उन्होंने बताया कि करीब 2 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को इस परियोजना से लाभ मिलेगा और खारे पानी की समस्या का समाधान भी होगा। उन्होंने इसे दुनिया के अनूठे जल प्रबंधन प्रयासों में से एक बताया और कहा कि अब केंद्र सरकार से भी इस परियोजना के लिए सहायता मांगी जाएगी।
केंद्र सरकार देगी 90% लागत
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस एमओयू को दोनों राज्यों के बीच सहयोग का नया अध्याय बताया। परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपए लागत आएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस परियोजना की 90 प्रतिशत लागत वहन करेगी। वहीं, दोनों राज्य 5-5 प्रतिशत राशि लगाएंगे। साथ ही यह भी बताया कि मध्य प्रदेश नदियों की भूमि है और यहां से निकलने वाली नदियों से कई राज्यों को लाभ मिलता है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का आभार जताते हुए कहा कि इस परियोजना की नींव उन्हीं के कार्यकाल में पड़ी थी।