शराबबंदी के बाद नशीली दवाओं के सेवन में भारी इजाफा

 शराबबंदी के बाद नशीली दवाओं के सेवन में भारी इजाफा

बिहार में 2016 के अप्रैल महीने में नीतीश सरकार ने अप्रैल 2016 में शराब पीने, खरीदने, बेचने और उत्पादन करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। नीतीश सरकार ने यह प्रतिबंध राज्य में ​महिलाओं से जुड़े कई संगठनों और समूहों के काफी विरोध और प्रदर्शन के बाद लगाया था। हालांकि, शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने के बाद पिछले 9 वर्षों में कच्ची और जहरीली शराब पीने से राज्य में 190 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (Economic Offences Unit) आंकड़ों के अनुसार इन 9 वर्षों में नशीली दवाओं से संबंधित मामलों में लगभग चार गुना वृद्धि दर्ज की गई है।



नशीली दवा के सेवन के आरोप में बढ़ी गिरफ्तारियां

बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम, 1985 के तहत गिरफ्तारी में इजाफा हुआ है। वर्ष 2016 में 496 गिरफ्तारियां हुई थीं जबकि 2024 में यह बढ़कर 1,813 तक पहुंच गई। चालू कैलेंडर वर्ष के मई महीने तक एनडीपीएस अधिनियम के तहत 569 मामले दर्ज किए गए और 577 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।


शराब की जगह अब इन ड्रग्स का कर रहे इस्तेमाल

ईओयू की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि इन अवधि में चरस, स्मैक, ब्राउन शुगर और डोडा (अफीम की भूसी) जैसे मादक पदार्थों की जब्ती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसका मतलब यह हुआ कि बिहार में शराब की जगह नशे की गिरफ्त में आ चुके लोग चरस, स्मैक, ब्राउन शुगर और अफीम का सेवन करने लगे हैं।


सिथेंटिक नशा का कल्चर युवाओं में बढ़ा

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के उप महानिरीक्षक मानवजीत ढिल्लों ने कहा, "शराबबंदी के बाद से, हमने ग्रामीण इलाकों में गांजे और शहरी इलाकों में स्मैक की खपत में वृद्धि दर्ज की गई है। शहरी इलाकों में युवा मेथ, ब्राउन शुगर और कफ सिरप (इनमें कोडीन होता है, जो एक ओपिओइड है) जैसे सिंथेटिक नशीले पदार्थों का प्रयोग तेज़ी से कर रहे हैं।"


क्या होता है सिथेंटिक ड्रग्स?

सिंथेटिक ड्रग्स लैब में गांजा और अफीम से तैयार किए जाते हैं। वस्तुत: प्राकृतिक नशीले पदार्थों से लैब में नशीले पदार्थ तैयार किए जाते हैं जिसे सिंथेटिक ड्रग्स कहा जाता है। यह प्राकृतिक नशा के मुकाबले कई गुणा ज्यादा शक्तिशाली होते हैं। सिंथेटिक ओपियोइड्स का इस्तेमाल दर्द कम करने या मरीजों को सर्जरी से पहले बेहोश करने के लिए किया जाता है। लेकिन इसके ज्यादा इस्तेमाल से किसी मौत भी हो सकती है। एक आंकड़े के अनुसार, अमेरिका में 18 से 45 वर्ष के युवाओं की मौत का एक सबसे बड़ा कारण सिंथेटिक ड्रग्स का अंधाधुंध इस्तेमाल है।


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