एक साथ नजर आए तेज प्रताप और रवि किशन

 एक साथ नजर आए तेज प्रताप और रवि किशन

जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव और भाजपा सांसद रवि किशन शुक्रवार को पटना हवाई अड्डे पर एक साथ नजर आए, जिससे बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। दोनों के बीच मुस्कुराते हुए बातचीत हुई। उनकी सौहार्दपूर्ण बातचीत और एक साथ मौजूदगी ने उन अटकलों को हवा दे दी है कि तेज प्रताप यादव, जो लगातार भाजपा और आरएसएस के कट्टर आलोचक रहे थे, क्या वह किसी नए राजनीतिक समीकरण का संकेत दे रहे हैं। 



दरअसल गया में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे थे, जबकि रवि किशन पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण में रैलियों को संबोधित कर रहे थे। चुनाव प्रचार करने के बाद तेज प्रताप यादव और रवि किशन हवाई अड्डे पर एक साथ उतरे थे। इसी बीच एयरपोर्ट से बाहर निकलते हुए दोनों साथ हो गये। दोनों साथ आये इसलिए पत्रकारों ने पूछ लिया कि दोनों एक साथ आ रहे हैं, ऐसे में क्या कोई नया समीकरण बन रहा है? पत्रकारों के इस सवाल पर जवाब देते हुए तेज प्रताप यादव ने अपनी मुलाकात को  महज एक संयोग बताया। उन्होंने कहा कि बस मैं रवि किशन से पहली बार मिल रहा हूँ। बेशक, भगवान शिव की भक्ति के मामले में हम दोनों एकमत हैं। हम दोनों माथे पर टीका लगाते हैं। 


फिर पत्रकारों ने दूसरा पूछा कि क्या वह भाजपा के साथ जा सकते हैं? तो  कहा कि जो भी बेरोज़गारी दूर करेगा, मैं उसके साथ रहूँगा। इस बीच, जब यादव को कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं से मिल रही प्रशंसा के बारे में पूछा गया, तो रवि किशन ने बीच में आकर कहा कि यह उनका दिल है जो लोगों की प्रशंसा अर्जित कर रहा है। रवि किशन ने, तेज प्रताप यादव के भाजपा में शामिल होने की संभावना की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ भी हो सकता है। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोलेनाथ के सभी भक्तों के लिए दरवाजे खुले रखे हैं, जो निस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित हैं और किसी निजी एजेंडे के कारण राजनीति में नहीं हैं।


हालांकि, भाजपा नेता उस समय असहज हो गए जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे के साथ अन्याय हुआ है। तेज प्रताप यादव को अपनी अलग हुई पत्नी के अलावा किसी और के साथ संबंध में होने की बात स्वीकार करने के बाद पार्टी से निकाल दिया गया था। मीडिया की भीड़ से जल्दी से आगे निकलते हुए उन्होंने जवाब दिया कि अब, मुझसे ऐसे सवाल मत पूछिए। यह चुनाव का समय है। फिर भी, निश्चिंत रहिए कि बिहार के लोग सही और गलत में अंतर करने के लिए पर्याप्त समझदार हैं।

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